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Tuesday, 30 May 2017

💎 *अहिल्याबाई खंडेराव होळकर* 💎

*_"इतिहासाच्या कालपटलावर स्त्री व्यक्तिमत्त्वाचा ठसा उमटवणा-या महाराणी पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होळकर यांच्या जयंतीनिमित्त विनम्र अभिवादन._"*
                  *-जयराज सोदले.*

🌷 *अधिकारकाळ:-*डिसेंबर ११, इ.स. १७६७ - ऑगस्ट १३, इ.स. १७९५
🌷 *राज्याभिषेक:-*डिसेंबर ११, इ.स. १७६७
🌷 *राज्यव्याप्ती:*-माळवा
🌷 *राजधानी:-*रायगड
🌷 *पूर्ण नाव:-*पुण्यश्लोक अहिल्याबाई खंडेराव होळकर
🌷 *पदव्या*राजमाता
🌷 *उपाधी:-*पुण्यश्लोक
🌷 *जन्म:-*मे ३१ , इ.स. १७२५चौंडीगाव,जामखेड,तालुका ,अहमदनगर,महाराष्ट्र,भारत
🌷 *मृत्यू:-*ऑगस्ट १३, इ.स. १७९५महेश्वर
🌷 *पूर्वाधिकारी:-*खंडेराव होळकर
🌷 *दत्तकपुत्र:-*तुकोजीराव होळकर
🌷 *उत्तराधिकारी:-*तुकोजीराव होळकर
🌷 *वडील:-*माणकोजी शिंदे
🌷 *आई:-*सुशिलाबाई शिंदे
🌷 *राजघराणे:-*होळकर

🦋 *बालपण* ➡

अहिल्यादेवींचा जन्म मे ३१ इ.स. १७२५ रोजी महाराष्ट्राच्याअहमदनगर जिल्ह्यातील जामखेड तालुक्यातील चौंडी या खेड्यात झाला.
त्यांचे वडील माणकोजी शिंदे हे त्या गावचे पाटील होते. अहिल्यादेवी यांचे आजोळ उस्मानाबाद जिल्ह्यातील चोराखळी हे गांव होते. त्याकाळी स्त्रीशिक्षण फारसे प्रचलित नसतानाही तिच्या वडिलांनी त्यांना लिहिण्यावाचण्यास शिकवले होते.

बाजीराव पेशव्यांचे एक सरदार मल्हारराव होळकर हे माळवा प्रांताचे जहागीरदार होते. ते पुण्यास जाताना चौंडीस थांबले होते. आख्यायिकेनुसार, ८ वर्षाच्या अहिल्यादेवींना, मल्हाररावांनी एका देवळात बघितले.मुलगी आवडल्यामुळे त्यांनी तिला, स्वतःचा मुलगा खंडेराव याची वधू म्हणून आणले.

मल्हारराव होळकरांच्या त्या सून होत. अहिल्यादेवींचे पती खंडेराव होळकर यांचे इ.स. १७५४ मध्ये, कुम्हेरच्या लढाईत धारातीर्थी पडले. त्यांच्या मृत्यूनंतर सासरे मल्हाररावांनी अहिल्याबाईंना सती जाऊ दिले नाही. १२ वर्षांनंतर, मल्हारराव होळकर हेही मृत्यू पावले. त्यानंतर अहिल्याबाई मराठा साम्राज्याच्या माळवा प्रांताचा कारभार बघू लागल्या. अहिल्याबाईंनी आपल्या राज्याला तुंगांपासून?? वाचवले. त्या लढाईत अहिल्यादेवी स्वतः सैन्याचे नेतृत्व करीत होत्या. पुढे त्यांनी तुकोजीराव होळकर यांची सेनापती म्हणून नेमणूक केली.

एका इंग्रजी लेखकाने अहिल्यादेवी होळकर, यांना भारताच्या "कॅथरीन द ग्रेट, एलिझाबेथ, मार्गारेट" म्हटले आहे.<ref>इंग्रजी लेखक लॉरेन्स यांनी *अहिल्याबाई यांची तुलना रशियाची राणी कथेरीन , इंग्लंडची राणी एलिझाबेथ तसेच डेन्मार्कची राणी मार्गारेट यांच्याशी केली आहे.*</ref> (इ.स. १७२५ - इ.स. १७९५, राज्यकालावधी इ.स. १७६७ - इ.स. १७९५) ही भारतातील, माळव्याच्या जहागीरदार असलेल्या होळकर घराण्याच्या *'तत्त्वज्ञानी राणी'* म्हणून ओळखल्या जातात. त्यांनी नर्मदातीरी, इंदूरच्या दक्षिणेससलेल्या महेश्वर या ठिकाणी आपली राजधानी हलविली. मल्हाररावांनी त्यांना प्रशासकीय व सैन्याच्या कामात पारंगत केलेल होते. त्या आधाराने अहिल्याबाईंनी इ.स. १७६६ ते इ.स. १७९५, म्हणजे त्यांच्या मृत्यूपर्यंत माळव्यावर राज्य केले.

*अहिल्याबाई होळकर या उचित न्यायदानासाठी प्रसिद्ध होत्या.*

राणी अहिल्यादेवी यांनी भारतभरात अनेक हिंदू मंदिरे व नदीघाट बांधले, किंवा त्यांचा जीर्णोद्धार केला; महेश्वर व इंदूर या गावांना सुंदर बनवले. त्या अनेक देवळांच्या आश्रयदात्या होत्या. त्यांनी अनेक तीर्थक्षेत्री धर्मशाळांचे बांधकाम केले. त्यांत द्वारका, काशी, उज्जैन, नाशिक व परळी वैजनाथ यांचा प्रामुख्याने समावेश आहे. वेरावळ येथील सोमनाथचे गझनीच्या महंमदाने ध्वस्त केलेले देऊळ बघून अहिल्यादेवींनी शेजारीच एक शंकराचे एक देऊळ बांधले. सोमनाथला जाणारे लोक या देवळालाही भेट देतात.

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Monday, 22 May 2017

Thursday, 18 May 2017

70  positive points
👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏

1:- जीवन में वो ही व्यक्ति असफल होते है, जो सोचते है पर करते नहीं ।

2 :- भगवान के भरोसे मत बैठिये क्या पता भगवान आपके भरोसे बैठा हो…

3 :- सफलता का आधार है सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास !!!

4 :- अतीत के ग़ुलाम नहीं बल्कि भविष्य के निर्माता बनो…

5 :- मेहनत इतनी खामोशी से करो की सफलता शोर मचा दे…

6 :- कामयाब होने के लिए अकेले ही आगे बढ़ना पड़ता है, लोग तो पीछे तब आते है जब हम कामयाब होने लगते है.

7 :- छोड़ दो किस्मत की लकीरों पे यकीन करना, जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज़ है…

8 :- यदि हार की कोई संभावना ना हो तो जीत का कोई अर्थ नहीं है…

9 :- समस्या का नहीं समाधान का हिस्सा बने…

10 :- जिनको सपने देखना अच्छा लगता है उन्हें रात छोटी लगती है और जिनको सपने पूरा करना अच्छा लगता है उनको दिन छोटा लगता है…

11 :- आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदतें बदल सकते है और निशचित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देगी !

12 :- एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जानें के बाद दूसरा सपना देखने के हौसले को ज़िंदगी कहते है !!!

13 :- वो सपने सच नहीं होते जो सोते वक्त देखें जाते है, सपने वो सच होते है जिनके लिए आप सोना छोड़ देते है…

14 :- सफलता का चिराग परिश्रम से जलता है !!!

15 :- जिनके इरादे बुलंद हो वो सड़कों की नहीं आसमानो की बातें करते है…

16 :- सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं…

17 :- मैं तुरंत नहीं लेकिन निश्चित रूप से जीतूंगा…

18 :- सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगें लोग…

19 :- आशावादी हर आपत्तियों में भी अवसर देखता है और निराशावादी बहाने !!!

20 :- आप में शुरू करने की हिम्मत है तो, आप में सफल होने के लिए भी हिम्मत है…

21 :- सच्चाई वो दिया है जिसे अगर पहाड़ की चोटी पर भी रख दो तो बेशक रोशनी कम करे पर दिखाई बहुत दूर से भी देता है.

22 :- संघर्ष में आदमी अकेला होता है, सफलता में दुनिया उसके साथ होती है ! जिस जिस पर ये जग हँसा है उसी उसी ने इतिहास रचा है.

23 :- खोये हुये हम खुद है और ढूढ़ते ख़ुदा को है !!!

24 :- कामयाब लोग अपने फैसले से दुनिया बदल देते है और नाकामयाब लोग दुनिया के डर से अपने फैसले बदल लेते है…

25 :- भाग्य को और दूसरों को दोष क्यों देना जब सपने हमारे है तो कोशिशें भी हमारी होनी चाहियें !!!

26 :- यदि मनुष्य सीखना चाहे तो उसकी प्रत्येक भूल उसे कुछ न कुछ सिखा देती है !!!

27 :- झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते है तरक्की के बाज़ की उड़ान में कभी आवाज़ नहीं होती…

28 :- समस्या का सामना करें, भागे नहीं, तभी उसे सुलझा सकते हैं…

29 :- परिवर्तन से डरना और संघर्ष से कतराना मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है.

30 :- सुंदरता और सरलता की तलाश चाहे हम सारी दुनिया घूम के कर लें लेकिन अगर वो हमारे अंदर नहीं तो फिर सारी दुनिया में कहीं नहीं है.

31 :- ना किसी से ईर्ष्या ना किसी से कोई होड़, मेरी अपनी मंज़िलें मेरी अपनी दौड़…

32 :- ये सोच है हम इंसानों की कि एक अकेला क्या कर सकता है, पर देख ज़रा उस सूरज को वो अकेला ही तो चमकता है !!!

33 :- लगातार हो रही सफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि कभी कभी गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल देती है…

34 :- जल्द मिलने वाली चीजें ज्यादा दिन तक नहीं चलती और जो चीजें ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नहीं मिलती है.

35 :- इंसान तब समझदार नहीं होता जब वो बड़ी बड़ी बातें करने लगे, बल्कि समझदार तब होता है जब वो छोटी छोटी बातें समझने लगे…

36 :- सेवा सभी की करना मगर आशा किसी से भी ना रखना क्योंकि सेवा का वास्तविक मूल्य नही दे सकते है,

37 :- मुश्किल वक्त का सबसे बड़ा सहारा है “उम्मीद” !! जो एक प्यारी सी मुस्कान दे कर कानों में धीरे से कहती है “सब अच्छा होगा” !!

38 :- दुनिया में कोई काम असंभव नहीं, बस हौसला और मेहनत की जरुरत है !!!

39 :- वक्त आपका है चाहे तो सोना बना लो और चाहे तो सोने में गुजार दो, दुनिया आपके उदाहरण से बदलेगी आपकी राय से नहीं…

40 :- बदलाव लाने के लिए स्वयं को बदले…

41 :- सफल व्यक्ति लोगों को सफल होते देखना चाहते है, जबकि असफल व्यक्ति लोगों को असफल होते देखना चाहते है…

42 :- घड़ी सुधारने वाले मिल जाते है लेकिन समय खुद सुधारना पड़ता है !!!

43 :- दुनिया में सब चीज मिल जाती है केवल अपनी ग़लती नहीं मिलती…

44 :- क्रोध और आंधी दोनों बराबर… शांत होने के बाद ही पता चलता है की कितना नुकसान हुवा…

45 :- चाँद पे निशान लगाओ, अगर आप चुके तो सितारों पे तो जररू लगेगा !!!
46 :- गरीबी और समृद्धि दोनों विचार का परिणाम है…

47 :- पसंदीदा कार्य हमेशा सफलता, शांति और आनंद ही देता है…

48 :- जब हौसला बना ही लिया ऊँची उड़ान का तो कद नापना बेकार है आसमान का…

49 :- अपनी कल्पना को जीवन का मार्गदर्शक बनाए अपने अतीत को नहीं…

50 :- समय न लागओ तय करने में आपको क्या करना है, वरना समय तय कर लेगा की आपका क्या करना है.

51 :- अगर तुम उस वक्त मुस्कुरा सकते हो जब तुम पूरी तरह टूट चुके हो तो यकीन कर लो कि दुनिया में तुम्हें कभी कोई तोड़ नहीं सकता !!!

52 :- कल्पना के बाद उस पर अमल ज़रुर करना चाहिए। सीढ़ियों को देखते रहना ही पर्याप्त नहीं है, उन पर चढ़ना भी ज़रुरी है।

53 :- हमें जीवन में भले ही हार का सामना करना पड़ जाये पर जीवन से कभी नहीं हारना चाहिए…

54 :- सीढ़ियां उन्हें मुबारक हो जिन्हें छत तक जाना है, मेरी मंज़िल तो आसमान है रास्ता मुझे खुद बनाना है !!!

55 :- हजारों मील के सफ़र की शुरुआत एक छोटे कदम से होती है…

56 :- मनुष्य वही श्रेष्ठ माना जाएगा जो कठिनाई में अपनी राह निकालता है ।

57 :- पुरुषार्थ से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है…

58 :- प्रतिबद्ध मन को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, पर अंत में उसे अपने परिश्रम का फल मिलेगा ।

59 :- असंभव समझे जाने वाला कार्य संभव करके दिखाये, उसे ही प्रतिभा कहते हैं ।

60 :- आने वाले कल को सुधारने के लिए बीते हुए कल से शिक्षा लीजिए…

61 :- जो हमेशा कहे मेरे पास समय नहीं है, असल में वह व्यस्त नहीं बल्कि अस्त-व्यस्त है ।

62 :- कठिनाइयाँ मनुष्य के पुरुषार्थ को जगाने आती हैं…

63 :- क्रोध वह हवा है जो बुद्धि के दीप को बुझा देती है ।

64 :- आपका भविष्य उससे बनता है जो आप आज करते हैं, उससे नहीं जो आप कल करेंगे…

65 :- बन सहारा बे सहारों के लिए बन किनारा बे किनारों के लिए, जो जिये अपने लिए तो क्या जिये जी सको तो जियो हजारों के लिए ।

66 :- चाहे हजार बार नाकामयाबी हो, कड़ी मेहनत और सकारात्मक सोच के साथ लगे रहोगे तो अवश्य सफलता तुम्हारी है…

67 :- खुद की तरक्की में इतना समय लगा दो, कि किसी और की बुराई का वक्त ही ना मिले !!!

68 :- प्रगति बदलाव के बिना असंभव है, और जो अपनी सोच नहीं बदल सकते वो कुछ नहीं बदल सकते…

69 :- खुशी के लिए काम करोगे तो ख़ुशी नहीं मिलेगी, लेकिन खुश होकर काम करोगे, तो ख़ुशी और सफलता दोनों ही मिलेगी ।

70 :- पराजय तब नहीं होती जब आप गिर जाते हैं, पराजय तब होती है जब आप उठने से इनकार कर देते हैं ।

Saturday, 13 May 2017

⛳ *श्री धर्मवीर छत्रपती संभाजीराजे भोसले यांच्या जयंतीनिमित्त महाराष्ट्र प्रदेश शिक्षक काँग्रेस तर्फे विनम्र अभिवादन* ⛳
              *-जयराज सोदले.*
                 *तालुकाध्यक्ष*
          *शिक्षक काँग्रेस,चाकूर*

🌷 *अधिकारकाळ:-* जानेवारी, इ.स. १६८१ - मार्च ११, इ.स.  १६८९
🌷 *राज्याभिषेक:-* जानेवारी, इ.स. १६८१
🌷 *राज्यव्याप्ती:-* पश्चिम महाराष्ट्र, कोकण,
सह्याद्री डॊंगररांगांपासूननागपूरपर्यंत
आणि
उत्तर महाराष्ट्र, खानदेशापासून
दक्षिण भारताततंजावर पर्यंतराजधानीरायगडपूर्ण
🌷 *नाव:-* संभाजीराजे शिवाजीराजे भोसले
🌷 *जन्म:-* १४ मे, इ.स. १६५७पुरंदर किल्ला, पुणे जिल्हा, महाराष्ट्र
मृत्यू ११ मार्च, इ.स. १६८९तुळापूर , महाराष्ट्र
🌷 *समाधी:-* वढू, महाराष्ट्र येथे आहे
🌷 *उत्तराधिकारी:-* राजाराम
🌷 *वडील:-*शिवाजीराजे भोसले
🌷 *आई:-* सईबाई
🌷 *पत्नी:-* येसूबाई
🌷 *ब्रीदवाक्य:-*'श्री शंभो: शिवजातस्य मुद्रा धौरीव राजते, यंदकसेविनी लेखवर्तते कस्य नोपरी '
🌷 *चलन:-*होन, शिवराई (सुवर्ण होन, रुप्य होन??)

*छत्रपती संभाजीराजे भोसले (१४ मे, इ.स. १६५७; पुरंदर किल्ला, पुणे जिल्हा, महाराष्ट्र - ११ मार्च, इ.स. १६८९; तुळापूर, महाराष्ट्र) हे शिवाजी महाराज आणि त्यांच्या प्रथम पत्‍नी सईबाई यांचे थोरले चिरंजीव आणि मराठा साम्राज्याचे दुसरे छत्रपती होते.*


गेली ३२८ वर्षे भिमा इंद्रायणी संथपणे वाहताहेत आणी संपुर्ण जगाला सांगताहेत,

थरारलो होतो आम्ही १४ मे १६८९ रोजी कारण याच दिवशी भारतमातेचा एक सच्चा सुपुत्र धर्मरक्षणाकरिता स्वातंत्र्यवेदीच्या पेटलेल्या धगधगत्या अग्निकुंडात पावन होताना आम्ही माना वळवून पाहत होतो...!!!

"आम्ही पाहत होतो तुम्ही बदनाम केलेला एक सर्जा देव,देश अन धर्मासाठी बलिदान देताना,आम्ही पाहत होतो स्वराज्यासाठी शेवटच्या श्वासापर्यंत झुंज देणारा रौद्र शंभुराजा.आम्ही पाहत होतो राष्ट्रासाठी,स्वाभिमानासाठी शहीद होत असणारा एक रांगडा धुरंदर..!!

थरारालो होतो आम्ही दोघी,

अरे.!काय ते शौर्य,काय तो निडरपणा,काय ते राष्ट्रप्रेम,काय ती स्वराज्यावरील निष्ठा,समोर मृत्यु आहे हे दिसत असूनही मृत्युला ही न घाबरता महाराष्ट्र मातीसाठी आपल्याच मातीत रक्ताचा अभिषेक घालणारा एक अनामि विर आम्ही पाहत होतो...!!

अरे.! वेडा होता संभाजी.वेडा..!त्याला वेड होतं शिवरायांच्या स्वराज्याचं,त्याला वेड होतं धर्म रक्षणाचं,त्याला वेड होतं फक्त जिंकण्याचं,त्याला वेड होतं वादळाशि झुंजण्याचं,त्याला वेड होतं रयतेचं,त्याला वेड होतं मातीचं,त्याला वेड होतं स्वाभिमानाचं,त्याला वेड होतं राष्ट्राचं..!!!

अरे.! आम्ही पाहिलं,जिभ कापली शंभुची पण मुखातुन जगदंबेचा जयजयकार थांबला नव्हता..!!!
अरे.! आम्ही पाहीलं डोळे काढले या सर्जाचे पण राष्ट्रोन्नतीचं दिव्य स्वप्न मिटलं नव्हतं...!!!
अरे.! आम्ही पाहिलं बोकडासारखं अंग सोलुन काढलं या नररत्नाचं  पण  गनिमापुढे झुकला नव्हता कि शिवरायांच्या स्वराज्याशी द्रोह केला नव्हता..!!
अरे.! आम्ही पाहिलं,रक्तबंबाळ झाला हा जिजाऊच्या काळजाचा तुकडा पण त्याने स्वराज्याचा सौदा केला नव्हता...!!

पण दुर्देव,दुर्देव या शिवपुत्राचं,

जो संभाजी आम्ही पाहिला तो खरा संभाजी ३२८ वर्षे झाली तुम्हाला समजलाच नाही..!!

अरे.! कुणाला बदनाम करत राहीला तुम्ही,ज्याच्या नावाने मृत्युला देखील कापरं भरलं त्या मृत्युंजय छाव्याला कलंकित करत राहीला..!!

अरे.! ज्याने "मराठा" ही ओळख दिली त्या बापालाच तुम्ही बदनाम  करत राहीला..!!

अरे.! ज्याच्या जिवावर तुम्ही ३२८ वर्षे दुनियेसमोर "मराठा" म्हणुन नुसता माज केला त्या शिवपुत्राची बदनामी उघडया डोळयानी बघत राहीला...!!!

अरे.! ज्याच्या रक्ताचा शेवटचा थेंब देखील या मातीसाठी,धर्मासाठी खर्ची पडला त्या धर्मविराची बदनामी ३२८ वर्षे सहन करत राहीलात...!!

किती कृतघ्न निघालात तुम्ही..??
हा त्याग,हे बलिदान,हि साधना फक्त तुमच्यासाठी केलिरे शिवाच्या या पराक्रमी लेकरानं,पण तुम्ही मात्र खरा संभाजी कधी बघितलाच नाही जो आम्ही बघितला...!!!

अरे.! एकदा विचारा या गडकोट किल्ल्यांना,विचारा या सह्याद्रीला,विचारा कधी भिमा इंद्रायणीला कि,
सांगा आमचा हा सर्जा होता कसा..???

३२८ वर्षे झाली,

या भिमा इंद्रायणी आम्हाला सांगताहेत कि,हा संभाजी आमच्यासारखाच नितळ आणी स्वच्छ चारित्र्याचा होता..!!

अरे..! तो पुरंदर सांगतोय,माझ्या कुशित जन्मलेला संभा हा माझ्यासारखाच बुलंद होता..!!

अरे.! तो प्रतापगड सांगतोय हा सर्जा माझ्यासारखाच प्रतापि होता...!!

अरे.! तो रायगड सांगतोय हा संभाजी माझ्यासारखाच उत्तुंग,आकाशासी स्पर्धा करणारा होता..!!

अरे.! तो राजगड सांगतोय हा रणमर्द माझ्यासारखाच पोलादि मनगटाचा होता..!!

अरे.! तो पन्हाळा सांगतोय कि हा जिजाऊच्या काळजाचा तुकडा माझ्यासारखाच सुंदर आणी अति रूपवान होता..!!

अरे.! तो सिंहगड सांगतोय हा छावा माझ्यासारखाच सिंहाच्या छताडाचा होता..!!

अरे.! तो रामशेज सांगतोय हा मृत्युंजय संभा माझ्यासारखाच  अजिंक्य होता..!!

अरे.! तो विशाळगड सांगतोय संभाजी हा माझ्यासारखा विशाल मनाचा होता..!!

अरे.! तो शिवनेरी सांगतोय सईच्या गर्भातुन जन्मलेला हा सूर्य माझ्यासारखाच पवित्र आणी पावन होता..!!

तो सहयाद्री गेली ३२८ वर्षे झाली आम्हाला हेच सांगतोय कि,संभाजी हा माझ्या या द-याखो-यात,घनदाट अरण्यात वादळासारखा झेपावणारा,गनिमावर तुटुन पडणारा,एकही लढाई न हरलेला सच्चा वीर होता...!!!!!!!!!

"मी नेपोलियन वाचला,अलेक्झांडर वाचला,सिझर वाचला,महाराणा वाचला,सम्राट अशोक वाचला जगातील अनेक नामवंत धुरंदर योध्यांचा इतिहास वाचला पण जेव्हा संभाजी राजांचा खरा इतिहास वाचला तेव्हा इतिहासाचं अक्षरश: वेड लागलं"..कारण तेव्हा मला खरा संभाजी समजला..!!!!!

⛳जय भवानी ⛳
⛳ जय शिवाजी⛳
⛳ जय जिजाऊ⛳
⛳ जय शिवराय⛳
⛳जय रौद्र शंभुराजे ⛳

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गेली ३२८ वर्षे भिमा इंद्रायणी संथपणे वाहताहेत आणी संपुर्ण जगाला सांगताहेत,

थरारलो होतो आम्ही १४ मे १६८९ रोजी कारण याच दिवशी भारतमातेचा एक सच्चा सुपुत्र धर्मरक्षणाकरिता स्वातंत्र्यवेदीच्या पेटलेल्या धगधगत्या अग्निकुंडात पावन होताना आम्ही माना वळवून पाहत होतो...!!!

"आम्ही पाहत होतो तुम्ही बदनाम केलेला एक सर्जा देव,देश अन धर्मासाठी बलिदान देताना,आम्ही पाहत होतो स्वराज्यासाठी शेवटच्या श्वासापर्यंत झुंज देणारा रौद्र शंभुराजा.आम्ही पाहत होतो राष्ट्रासाठी,स्वाभिमानासाठी शहीद होत असणारा एक रांगडा धुरंदर..!!

थरारालो होतो आम्ही दोघी,

अरे.!काय ते शौर्य,काय तो निडरपणा,काय ते राष्ट्रप्रेम,काय ती स्वराज्यावरील निष्ठा,समोर मृत्यु आहे हे दिसत असूनही मृत्युला ही न घाबरता महाराष्ट्र मातीसाठी आपल्याच मातीत रक्ताचा अभिषेक घालणारा एक अनामि विर आम्ही पाहत होतो...!!

अरे.! वेडा होता संभाजी.वेडा..!त्याला वेड होतं शिवरायांच्या स्वराज्याचं,त्याला वेड होतं धर्म रक्षणाचं,त्याला वेड होतं फक्त जिंकण्याचं,त्याला वेड होतं वादळाशि झुंजण्याचं,त्याला वेड होतं रयतेचं,त्याला वेड होतं मातीचं,त्याला वेड होतं स्वाभिमानाचं,त्याला वेड होतं राष्ट्राचं..!!!

अरे.! आम्ही पाहिलं,जिभ कापली शंभुची पण मुखातुन जगदंबेचा जयजयकार थांबला नव्हता..!!!
अरे.! आम्ही पाहीलं डोळे काढले या सर्जाचे पण राष्ट्रोन्नतीचं दिव्य स्वप्न मिटलं नव्हतं...!!!
अरे.! आम्ही पाहिलं बोकडासारखं अंग सोलुन काढलं या नररत्नाचं  पण  गनिमापुढे झुकला नव्हता कि शिवरायांच्या स्वराज्याशी द्रोह केला नव्हता..!!
अरे.! आम्ही पाहिलं,रक्तबंबाळ झाला हा जिजाऊच्या काळजाचा तुकडा पण त्याने स्वराज्याचा सौदा केला नव्हता...!!

पण दुर्देव,दुर्देव या शिवपुत्राचं,

जो संभाजी आम्ही पाहिला तो खरा संभाजी ३२८ वर्षे झाली तुम्हाला समजलाच नाही..!!

अरे.! कुणाला बदनाम करत राहीला तुम्ही,ज्याच्या नावाने मृत्युला देखील कापरं भरलं त्या मृत्युंजय छाव्याला कलंकित करत राहीला..!!

अरे.! ज्याने "मराठा" ही ओळख दिली त्या बापालाच तुम्ही बदनाम  करत राहीला..!!

अरे.! ज्याच्या जिवावर तुम्ही ३२८ वर्षे दुनियेसमोर "मराठा" म्हणुन नुसता माज केला त्या शिवपुत्राची बदनामी उघडया डोळयानी बघत राहीला...!!!

अरे.! ज्याच्या रक्ताचा शेवटचा थेंब देखील या मातीसाठी,धर्मासाठी खर्ची पडला त्या धर्मविराची बदनामी ३२८ वर्षे सहन करत राहीलात...!!

किती कृतघ्न निघालात तुम्ही..??
हा त्याग,हे बलिदान,हि साधना फक्त तुमच्यासाठी केलिरे शिवाच्या या पराक्रमी लेकरानं,पण तुम्ही मात्र खरा संभाजी कधी बघितलाच नाही जो आम्ही बघितला...!!!

अरे.! एकदा विचारा या गडकोट किल्ल्यांना,विचारा या सह्याद्रीला,विचारा कधी भिमा इंद्रायणीला कि,
सांगा आमचा हा सर्जा होता कसा..???

३२८ वर्षे झाली,

या भिमा इंद्रायणी आम्हाला सांगताहेत कि,हा संभाजी आमच्यासारखाच नितळ आणी स्वच्छ चारित्र्याचा होता..!!

अरे..! तो पुरंदर सांगतोय,माझ्या कुशित जन्मलेला संभा हा माझ्यासारखाच बुलंद होता..!!

अरे.! तो प्रतापगड सांगतोय हा सर्जा माझ्यासारखाच प्रतापि होता...!!

अरे.! तो रायगड सांगतोय हा संभाजी माझ्यासारखाच उत्तुंग,आकाशासी स्पर्धा करणारा होता..!!

अरे.! तो राजगड सांगतोय हा रणमर्द माझ्यासारखाच पोलादि मनगटाचा होता..!!

अरे.! तो पन्हाळा सांगतोय कि हा जिजाऊच्या काळजाचा तुकडा माझ्यासारखाच सुंदर आणी अति रूपवान होता..!!

अरे.! तो सिंहगड सांगतोय हा छावा माझ्यासारखाच सिंहाच्या छताडाचा होता..!!

अरे.! तो रामशेज सांगतोय हा मृत्युंजय संभा माझ्यासारखाच  अजिंक्य होता..!!

अरे.! तो विशाळगड सांगतोय संभाजी हा माझ्यासारखा विशाल मनाचा होता..!!

अरे.! तो शिवनेरी सांगतोय सईच्या गर्भातुन जन्मलेला हा सूर्य माझ्यासारखाच पवित्र आणी पावन होता..!!

तो सहयाद्री गेली ३२८ वर्षे झाली आम्हाला हेच सांगतोय कि,संभाजी हा माझ्या या द-याखो-यात,घनदाट अरण्यात वादळासारखा झेपावणारा,गनिमावर तुटुन पडणारा,एकही लढाई न हरलेला सच्चा वीर होता...!!!!!!!!!

"मी नेपोलियन वाचला,अलेक्झांडर वाचला,सिझर वाचला,महाराणा वाचला,सम्राट अशोक वाचला जगातील अनेक नामवंत धुरंदर योध्यांचा इतिहास वाचला पण जेव्हा संभाजी राजांचा खरा इतिहास वाचला तेव्हा इतिहासाचं अक्षरश: वेड लागलं"..कारण तेव्हा मला खरा संभाजी समजला..!!!!!

🙏जय भवानी 🙏
🙏 जय शिवाजी🙏
🙏 जय जिजाऊ🙏
🙏 जय शिवराय🙏
🙏जय रौद्र शंभुराजे 🙏
"एका संध्याकाळी अमेरिकेचे अध्यक्ष ओबामा अणि त्यांची पत्नी मिखेलि सहज गम्मत म्हणून एक सर्वसाधारण हॉटेल मध्ये जेवायला गेले होते.

हॉटेलचा मालक त्यांच्या जवळ आला अणि अध्यक्षांना आदबिने विचारले महोदय "मी तुमच्या पत्नीशी जरा खाजगित बोलू शकतो का.."

ओबामांनी होकार दिला...

त्यांचे बोलणे झाल्यावर ओबामांनी तिला उत्सुकतेने विचारले " असं काय विशेष की त्याला तुझ्याशी खाजगित बोलवेसे वाटले..?"

तिने सांगितले की, माझ्या तरुणपणी हा माझ्याशी लग्न करण्यासाठी अगदी वेडा झाला होता..

ओबामांनी म्हटले , अगं बरं झालं असतं नां..."आज तू ह्या छान हॉटेलची मालकींण असतीस..."

ती आत्मविश्वासाने उत्तरली, "अजिबात नाही..जर त्याने माझ्याशी लग्न केलं असतं तर आज तो अमेरिकेचा
अध्यक्ष असता..."

"आत्मविश्वास असावा तर असा..
प्रत्येक यशस्वी पुरुषांच्या यशामागे स्त्रीचाच हात असतो...."

😊😊😊😊
 #obama
*🙏🔥बोधामृत🔥🙏*

       *एक वाटसरू वाळवंटात हरवला होता.त्याच्या जवळच पाणी संपलं त्यालाही दोन दिवस झाले होते.आता पाणी नाही मिळालं तर आपलं मरण निश्चित आहे हे त्याला दिसत होतं,जाणवत होतं.हताश होऊन तो सभोवताली दूर दूर पर्यंत जेवढी नजर जाईल तिथपर्यंत डोळे ताणून ताणून पहात होता.त्याची नजर अर्थातच पाणी शोधत होती.*
        *तेवढ्यात त्याला काही अंतरावर एक झोपडं दिसलं. तो थबकला.हा भास तर नाही? नाहीतर मृगजळ असेल.पण काही असो, तिकडे जाऊया, काही असेल तर मिळेल असा विचार करत पाय ओढत स्वतःच थकलेलं शरीर घेऊन तो निघाला.काही वेळातच त्याच्या लक्षात आले की तो भास नव्हता,झोपडी खरोखरच होती.पण ती रिकामी होती, कोणीच नव्हतं तिथे आणि ती तशी बऱ्याच दिवसांपासून, कदाचित वर्षांपासून असावी असं वाटत होतं.*
      *पाणी मिळेल या आशेने तो आत शिरला.आणि समोरच दृष्य पाहून तो थबकलाच. माणूस मागतो एक डोळा आणि देव देतो दोन अशी त्याची स्थिती झाली.*
       *तिथे एक हातपंप होता आणि त्याचा पाईप जमिनीत शिरला होता.त्याच्या लक्षात आलं जमिनीखाली पाणी आहे. हा पाईप तिथेच गेलाय.त्याच्या अंगात एकदम उत्साह संचारला.पुढे सरकत त्याने हातपंप जोराजोरात वरखाली करायला सुरवात केली.पण काहीच झालं नाही.पाणी आलंच नाही.नुसतात पंपाचा आवाज येत राहिला.अखेर हताश होऊन तो मटकन खाली बसला.आता आपलं मरण त्याला जास्त प्रकर्षाने जाणवले.*
       *तेवढ्यात त्याचं लक्ष कोपऱ्यात ठेवलेल्या बाटलीकडेे गेलं.परत एक अत्यानंदाची लहर उठली.बाटली पाण्याने भरलेली होती आणि वाफ होऊन जाऊ नये म्हणून व्यवस्थित सिल केलेली होती. चटकन तो पुढे सरकला.त्याने पाणी पिण्यासाठी बाटली उघडली तेवढ्यात बाटलीवर लावलेल्या एका कागदाकडे त्याचे लक्ष गेले.*
       *त्यावर लिहिले होते "हे पाणी पंप सुरू करण्यासाठी  वापरा आणि तुमचं काम झाल्यावर ही बाटली परत भरून ठेवायला विसरू नका."*
      *तो चक्रावलाच.त्याच्या मनात द्वंद्व सुरू झालं.काय करावं? या सुचनेकडे दुर्लक्ष करून सरळ पाणी पिऊन मोकळं व्हावं? की सुचनेप्रमाणे करावं?*
       *समजा, सूचनेप्रमाणे पंपात पाणी ओतलं आणि पंप खराब असेल तर?, पंपाचा पाईप तुटला असेल तर?, खालचं पाणी आटून गेलं असेल तर? पाणी वायाच जाईल...सगळा खेळ खल्लास...*
      *पण सुचना बरोबर असतील तर?... तर भरपूर पाणी...*
      *पाणी पंपात ओतण्याचा धोका पत्करावा की नाही यावर त्याच मत ठरेना.*
      *शेवटी मनाचा निर्धार करत थरथरत्या हातांनी त्याने ते पाणी पंपात ओतले.डोळे मिटून देवाचा धावा केला आणि पंप वरखाली करायला सुरवात केली. हळूहळू पाण्याचा आवाज सुरू झाला आणि काही क्षणातच पाणी यायला सुरवात झाली.भरपूर पाणी येतं होतं.त्याला काय करू नी काय नको असं झालं.ढसाढसा पाणी प्यायला तो. स्वतः जवळच्या बाटल्या पण काठोकाठ भरल्या त्याने. तो खुप खुश झाला होता.*
       *शांत आणि पाण्याने तृप्त झाल्यावर त्याचे लक्ष आणखी एका कागदाकडे गेले.तो त्या परिसराचा नकाशा होता. त्यावरून सहज लक्षात येत होतं की तो मानवी वस्तीपासून अजून खुप दूर होता.पण आता निदान त्याला त्याच्या पुढच्या प्रवासाची दिशा तरी समजली होती.*
      *त्याने निघायची तयारी केली. सुचनेप्रमाणे ती बाटली भरून सिलबंद करून ठेवली.आणि त्या बाटलीवरच्या कागदावर एक ओळ स्वतः लिहीली.*
   *💥"विश्वास ठेवून हे पाणी पंपात ओता,पाणी येतच" आणि तो पुढे निघाला.*
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            *🏹तात्पर्य🏹*
         *ही गोष्ट आहे*
*👉देण्याचं महत्व सांगणारी.*
*👉काही मिळवण्यासाठी काही द्यावं लागतं हे अधोरेखित करणारी.*
*👉काही दिल्यानंतर मिळतं ते भरपूर असतं,आनंददायी असतं.हे सांगणारी.*
*👉त्याही पेक्षा जास्त प्रकर्षाने ही गोष्ट विश्वासाबद्दल सांगते.*
*"विश्वासाने केलेले दान खुप आनंद देते."*
       
        *🌷आपल्या कृतीमुळे फायदा होईल याची खात्री नसतानाही त्याने विश्वास दाखवला.*
      *🌷काय होईल माहिती नसताना त्याने विश्वासाने अज्ञातात उडी मारली.*

       *🏹या गोष्टीतले पाणी म्हणजे आयुष्यात घडणाऱ्या चांगल्या गोष्टी.*
     *🏹त्यांच्याकरता वेळ द्या आणि त्याच्या बदल्यात कितीतरी जास्त पटीने आनंदाची झोळी भरून घ्या."*

Tuesday, 9 May 2017

🦋 *अखंड विश्वाला शांततेचा संदेश देणारे,*
*दया,क्षमा,शांती ची शिकवण देणारे, विश्व वंदनीय महाकारुणीक तथागत गौतम बुद्ध जयंती निमित्त बुद्ध पोर्णिमेच्या सर्वांना मंगलमय हार्दिक सदिच्छा.* 🦋
                *-जयराज सोदले*

_*बुद्धम शरणम् गच्छामी...*_
_*धम्मम शरणम् गच्छामी...*_
_*संघम शरणम् गच्छामी....*_

      🙏🏻 *नमो_बुद्धाय.* 🙏🏻

🌷 *बुद्धांची शिकवण* ➡

१) मूर्खांची संगती करु नका.
२) विद्वानांची संगती करा.
३) आदरणीय व्यक्तींचा आदर करा.
४) अनुकूल देशात निवास करा.
५) चांगली कामे करा.
६) चित्तास स्थिर ठेवा.
७) अनेक विषयांचे ज्ञान असू द्या.
८) विद्वान व्हा.
९) संयमी राहा.
१०) बोलणे मधुर व सत्य असू द्या.
११) मातापित्याची सेवा करा.
१२) पत्नी व पुत्राचे पालनपोषण करा.
१३) उपजीविकेचे साधन नि:संशयी व सुस्पष्ट असू द्या.
१४) दानधर्म करा.
१५) धम्माचरण करा.
१६) नातेवाइकांशी चांगले संबंध ठेवून त्यांना वेळोवेळी मदत करा.
१७) निर्दोष कर्मे करा.
१८) पापकर्मापासून अलिप्त राहा.
१९) मादक पदार्थांचे सेवन वर्ज्य करा.
२०) धम्म कार्यात प्रमादरहित असा.
२१) गौरवाची भावना जोपासा.
२२) मनाच्या शांतीची जोपासना करा.
२३) क्षमाशील असा.
२४) संतुष्ट असा.
२५) कृतज्ञ असा. लीन असा.
२६) सुसमयी धम्माचे श्रवण करा.
२७) मधुर भाषी, मितभाषी असा.
२८) नेहमी श्रमणांचे दर्शन घ्या.
२९) ब्रम्हचारी राहा.
३०) चार आर्यसत्यांचा अंगीकार करा.
३१) निर्वाणाचा साक्षात्कार करा.
३२) वेळोवेळी धम्मचर्चा करा.
३३) वैराग्य अंगी बाणा व तपस्वी व्हा.(देहदंड नव्हे)
३४) निंदा, स्तुती, लाभ, हानी ह्या ऎहिक धर्माच्या सानिध्यात आल्यावरही चित्ताला अस्थिर होऊ देऊ नका. चित्तास निर्मळ हेवा.
-नमो बुद्धाय
💐💐💐💐🙏🙏🙏

🌷  *।।पंचशील।।*
     
 1⃣मी जीव हिंसे पासुन अलिप्त रहाण्याची शपथ घेतो.
2⃣मी चोरी करण्यातासुन अलिप्त रहाण्याची शपथ घेतो.
3⃣मी कामवासनेच्या अनाचारापासुन अलिप्त रहाण्याची शपथ घेतो.
4⃣मी खोटे बोलण्यापासुन अलिप्त रहाण्याची शपथ घेतो.
5⃣मी मद्य,मादक तसेच इतर सर्वमोहांत पाडणार्या मादक वस्तुंच्या सेवनातासुन अलिप्त रहाण्याचीं शपथ घेतो.
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  🔵 *चार आर्य सत्य* 🔵

1⃣ *दुःख:-*

:- मानवी जीवनात विविध स्वरुपात दुःख अस्तित्वात असते.

2⃣ *दुःख समुदाय*  :

:- दुःख तीव्र इच्छा व तृष्णेपासून निर्माण होते.

3⃣ *दुःख निरोध*  :

:- तीव्र इच्छा व तृष्णेला समूळ नष्ट करुन दुःखापासून मुक्तता होवू शकते.

4⃣ *दुःख निरोगामिनी प्रतिपदा*  :

:- दुःख मुक्तिचा मार्ग आहे. तो मार्ग आहे बुद्धांनी मार्गदर्शीत केलेला आर्य अष्टांगिक मार्ग.

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🔶 *आर्य अष्टांगिक मार्ग*

       (सदाचाराचा मार्ग)
1⃣ *सम्यक दृष्टि*  :- निसर्ग नियमा विरुद्ध कोनतीही गोष्ट होऊ  शकते ही गोष्ट न मानणे.
2⃣ *सम्यक संकल्प*  :-  म्हणजे योग्य निर्धार, विचार.
3⃣ *सम्यक वाचा*  :- करुणायुक्त व सत्यपुर्ण वाचा ठेवण्याचा प्रयत्न करणे.
4⃣ *सम्यक कर्मांत*  :- उत्तम कर्म म्हणजे योग्य कृत्ये करणे.
5⃣ *सम्यक आजिविका*  :- वाईट मार्गाने आपली उपजिविका न करता ती सन्मार्गानेच करणे.
▶ *सम्यक व्यायाम* :- वाईट विचार निर्माण झाल्यास त्याचा त्वरीत नाश करणे.
7⃣ *सम्यक स्मृती*  :- तात्विक गोष्टींचे स्मरण करुन चित्तास ( मनाला) जागृत ठेवणे.
8⃣ *सम्यक समाधी*  :- कोणत्याही वाईट विकारांना स्पर्श होऊ न देता दृष्ट प्रवृत्तीपासून मन् अलग ठेवून चित्त प्रसन्न आणि शांत ठेवणे।
▶▶▶▶▶▶▶▶

   🔴 *दहा पारमिता* 🔴
          (शिल मार्ग)
1) *शिल*  :- शील म्हणजे नितिमत्ता,वाईट गोष्टी न करण्याकडे  असलेला मनाचा कल.
2) *दान*  :- स्वार्थाची किंवा परतफेडीची अपेक्षा न करता दुसर्याच्या भल्यासाठी स्वतःची मालमत्ता,रक्त,देह अर्पण करणे.
3) *उपेक्षा*  :-  निरपेक्षतेने सतत प्रयत्न करीत रहाणे.
4) *नैष्क्रिम्य*  :-  ऐहिक सुखाचा त्याग करणे.
5) *वीर्य*  :-  हाती घेतलेले काम यत्किंचितही माघार न घेता अंगी असलेल्या सर्व सामर्थ्यानिशी पुर्ण करणे.
6) *शांति*  :- शांति म्हणजे क्षमाशीलता,द्वेषाने द्वेषाला उत्तर न देणे.
7) *सत्य*  :- सत्य म्हणजे खरे,मानसाने कधीही खोटे बोलता कामा नये.
8) *अधिष्ठान*  :- ध्येय गाठण्याचा दृढ निश्चय.
9) *करुणा*  :- सर्व मानवाविषयीची प्रेमपूर्ण दयाशीलता.
10) *मैञी*  :- मैञी म्हणजे सर्व प्राणी,मित्र,शञूविषयी देखिल नव्हे तर सर्व जीवनमाञाविषयी बंधुभाव बाळगणे.

🙏🙏🙏🙏🙏🙏

 *जर आपण या बौद्ध् तत्वांचा,* *शिकवणुकीचा आपल्या जीवनात अंगीकार केला तर आपले अस्तित्व असताना* *नक्कीच आपण दुःखमुक्त होऊन आदर्श जीवन जगू शकतो व जीवंतपणीच*
*मुक्ति प्राप्त करु शकतो.*

🦋 *सबका मंगल हो.....* 🙏🙏🙏🦋